Highway: हमारे देश की सड़कें सिर्फ हमें गंतव्य तक पहुँचाने का साधन नहीं हैं, बल्कि वे विकास की नई राहें खोलकर ग्रामीण इलाकों और किसानों की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में, कुछ नेशनल Highway बने हैं जिनके कारण 195 से अधिक गांवों के किसानों की किस्मत ही बदल गई है। पहले जहां किसानों की जमीनें कम कीमत पर बिकती थीं, अब वे लाखों-करोड़ों रुपये में बिक रही हैं। यह कहानी सिर्फ सड़क निर्माण की नहीं है, बल्कि आर्थिक प्रगति, ग्रामीण भारत के समृद्ध होने और किसानों के जीवन स्तर में आए बदलाव की भी है।
कौन से हैं वो तीन प्रमुख नेशनल हाईवे?
देशभर में कई Highway बनाए जा रहे हैं, पर कुछ ऐसे हैं जिनका सीधा असर किसानों की संपत्ति और आय पर पड़ा है। इन तीन प्रमुख हाईवेज का नाम हैं:
- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे
- गंगा एक्सप्रेसवे
- लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे
इन हाईवेज के निर्माण से न केवल किसानों की जमीनों की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है, बल्कि कई किसानों को करोड़ों रुपये का मुआवजा भी मिला है।
1. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे: भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, जिसकी लंबाई लगभग 1,386 किलोमीटर है, भारत का सबसे बड़ा और सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है। यह Highway हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरता है। इस हाईवे के बनने से:
- किसानों को उनकी जमीन के बदले 3 से 5 गुना अधिक मुआवजा मिला।
- Highway से जुड़ने वाले गांवों की जमीन की कीमतें 10-15 गुना तक बढ़ गई हैं।
उदाहरण के तौर पर, राजस्थान के दौसा जिले के किसान रामलाल यादव के पास पहले 5 बीघा जमीन थी, जिसकी कीमत लगभग 20 लाख रुपये थी। Highway बनने के बाद उन्होंने उस जमीन को 2 करोड़ रुपये में बेचकर अब एक बड़ा बिजनेस चला रहे हैं। यह उदाहरण दर्शाता है कि कैसे इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार से ग्रामीण इलाकों में आर्थिक बदलाव आ सकता है।
2. गंगा एक्सप्रेसवे: यूपी के किसानों की किस्मत बदलने वाला हाईवे
गंगा एक्सप्रेसवे, जो उत्तर प्रदेश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है, लगभग 594 किलोमीटर लंबा है और मेरठ से प्रयागराज तक फैला हुआ है। इस Highway के बनने से पश्चिमी और पूर्वी यूपी के किसानों को सीधा लाभ हुआ है। जमघट में जमीन अधिग्रहण के कारण:
- हजारों किसानों को करोड़ों रुपये का मुआवजा मिला है।
- Highway के आसपास जमीन की कीमतें 8 से 10 गुना तक बढ़ गई हैं।
मेरठ जिले के किसान सुरेश पाल का उदाहरण लें, जिनके पास पहले 3 बीघा जमीन की कीमत 15 लाख रुपये थी। गंगा एक्सप्रेसवे बनने के बाद उन्होंने अपनी जमीन 1.5 करोड़ रुपये में बेच दी और अब एक सफल डेयरी फार्म चला रहे हैं। इस प्रकार, गंगा एक्सप्रेसवे ने यूपी के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है।
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3. लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे: छोटे किसानों के लिए बड़ा अवसर
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे, जो 63 किलोमीटर लंबा है, लखनऊ और कानपुर को सीधे जोड़ता है। इस Highway के निर्माण से छोटे किसानों को बड़ा फायदा हुआ है। पहले जिन गांवों में जमीनें लगभग 5 लाख रुपये प्रति बीघा बिकती थीं, अब उनकी कीमत 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। साथ ही, हाईवे के किनारे नए उद्योग और कमर्शियल हब बन रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के बेहतर अवसर मिल रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर, उन्नाव जिले के किसान राकेश तिवारी ने अपनी 2 बीघा जमीन 40 लाख रुपये में बेच दी। इससे उनकी मासिक आय पहले 10 हजार रुपये से बढ़कर 2 लाख रुपये तक पहुंच गई है। इससे यह साफ होता है कि छोटे किसान भी बड़े बदलाव का हिस्सा बन गए हैं।
किसानों की जिंदगी में आया बड़ा बदलाव
इन नेशनल हाईवेज के बनने से किसानों की जिंदगी में एक नयी सुबह आई है। अब उनके पास ज्यादा पैसा है, जिससे वे:
- नए बिजनेस शुरू कर सकते हैं।
- बेहतर घर और गाड़ियां खरीद सकते हैं।
- अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला सकते हैं।
- खेती में नई तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
भविष्य की योजनाएं और सरकारी प्रयास
सरकार लगातार नई सड़क परियोजनाओं पर काम कर रही है। कुछ प्रमुख योजनाएं हैं:
- भारत माला परियोजना: जिसके तहत और भी हाईवेज बनाए जाएंगे।
- एक्सप्रेसवे नेटवर्क का विस्तार: जिससे ग्रामीण क्षेत्रों को शहरों से बेहतर तरीके से जोड़ा जाएगा।
- कृषि-बाजार एक्सेस: ताकि किसानों को अपनी उपज आसानी से बाजार तक पहुंचाने में मदद मिले।
इन पहलों से न केवल ग्रामीण इलाकों का विकास हो रहा है, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आ रहा है। जो किसान पहले छोटी-छोटी समस्याओं के लिए संघर्ष करते थे, अब वे अपने पैरों पर मजबूती से खड़े हैं, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला रहे हैं और अपने लिए बेहतर जीवन का निर्माण कर रहे हैं।